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कलाम
विलायत इम्तिहान-ए-दोस्त में साबित क़दम रहनाबलाओं से न घबराना करामत इस को कहते हैं
मौलाना हिदायत रसूल
कलाम
दुर्र-ए-मज़मूँ की झड़ी रहती है क्यूँ फिर ये 'हसन'गर मिरी तब-ए'-रवाँ अब्र-ए-गुहर-बार नहीं
ख़्वाजा अज़ीज़ुल हसन मज्ज़ूब
कलाम
रहा बार-ए-अमानत गो वबाल-ए-दोश रस्ते भरन कंधा भी मगर हम ने तह-ए-बार-ए-गराँ बदला
ख़्वाजा अज़ीज़ुल हसन मज्ज़ूब
कलाम
रहता हूँ बे-लब-ओ-दहन रोज़-ओ-शब उन से हम-सुख़नजान-ए-सुख़न है ऐ 'हसन' ये मिरी ख़ामुशी नहीं
ख़्वाजा अज़ीज़ुल हसन मज्ज़ूब
कलाम
वही आबले हैं वही जलन कोई सोज़-ए-दिल में कमी नहींजो लगा के आग गए हो तुम वो लगी हुई है बुझी नहीं
फ़ना निज़ामी कानपुरी
कलाम
अ'दम से जानिब-ए-हस्ती 'निज़ामी'-ए-ख़स्तातलाश-ए-यार में वक़्फ़-ए-तलाश-ए-यार रहा
अमानत अ'ली निज़ामी
कलाम
वो बात हमारे बस की थी ये काम हमारे बस का नहींतश्कील-ए-तमन्ना तो कर ली तक्मील-ए-तमन्ना कौन करे
शाह महमूदुल हसन
कलाम
मोहब्बत पर मदार-ए-हसती-ए-कौनैन है 'माहिर'ये वो नुक्ता है जिस को साहिबान-ए-दिल समझते हैं
माहिरुल क़ादरी
कलाम
जला ही देगा तिफ़्ल-ए-अश्क दामान-ए-नज़र अपनाकि इक आतिश का पर काला है ये लख़्त-ए-जिगर अपना
ख़्वाजा अज़ीज़ुल हसन मज्ज़ूब
कलाम
'मज्ज़ूब' तू भी ग़ैर-ए-ख़ुदा से लगाए दिल'इश्क़-ए-बुताँ है बंदा-ए-हक़ ना-सज़ा-ए-दिल